♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

इंदौर में नगर निगम के घोटालेबाजों के घरों पर ईडी के छापे, पुरुष हो गए गायब

इंदौर l
बोगस कंपनियां बनाकर फर्जी बिल पास करवाने और सरकारी पैसा हजम करने के मामले में यह कार्रवाई की गई है। इंदौर में आज ईडी ने छापेमार कार्रवाई की । नगर निगम के फर्जी बिल घोटाले के मामले में टीम ने 15 जगहों पर छापे मारे हैं। इनमें अकाउंटेंट अनिल गर्ग और मामले के मास्‍टरमाइंड अभय राठौर के ठिकाने भी शामिल हैं।
इंदौर के महालक्ष्‍मी नगर में गर्ग के घर पहुंची टीम।
डेढ़ सौ करोड़ के घोटाले में 20 के खिलाफ केस।
ईडी ने 15 स्‍थानों पर की छापेमारी की कार्रवाई।
इंदौर। इंदौर नगर निगम में हुए डेढ़ सौ करोड़ के फर्जी बिल घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार सुबह छापामार कार्रवाई की। घोटाले के सरगना माने जा रहे निगम के निलंबित इंजीनियर अभय राठौर, नगर निगम के अकाउंटेंट अनिल गर्ग सहित तकरीबन 15 आरोपितों के ठिकानों पर दबिश दी गई। राठौर के बहनोई राकेश सिंह चौहान के घर भी ईडी के अधिकारी पहुंचे। खास बात यह रही कि ज्यादातर घरों पर ईडी टीम को महिलाएं ही मिलीं। पुरुष पहले ही गायब हो गए थे। बोगस कंपनियां बनाकर फर्जी बिल पास करवाने और सरकारी पैसा हजम करने का मामला अप्रैल 2024 में सामने आया था। फर्जी बिल घोटाले में एमजी रोड थाने पर तकरीबन एक दर्जन लोगों के खिलाफ आधा दर्जन से अधिक एफआइआर दर्ज हुई।
इसके अलावा अभय राठौर और उसके जीजा राकेश सिंह चौहान के खिलाफ पानी चोरी की एफआइआर भी लसूड़िया थाने में दर्ज है। अभय जेल में है। जीजा फरार है। ईडी ने कुछ जगह से दस्तावेज जब्त किए। ईडी ने आरोपितों के बैंक खाते और फर्मों से जुड़ी जानकारी भी हासिल की है ताकि ट्रांजेक्शन और मनी ट्रेल का पता किया जा सके। ईडी द्वारा इसके साथ हरीश श्रीवास्तव (55 सुखदेवनगर), प्रो. एहतेशाम पिता बिलकीस खान (128 माणिकबाग), जाहीद खान (101 सकीना अपार्टमेंट अशोका कालोनी), मोहम्मद साजिद (147 मदीना नगर), मोहम्मद सिद्धिकी (147 मदीना नगर), रेणु वडेरा (6 आशीष नगर), मोहम्मद जाकिर (147 मदीना नगर), राहुल वडेरा (12 आशीष नगर), अनिल पिता राजकुमार गर्ग (184 ए महालक्ष्मीनगर), राजकुमार पिता पन्नालाल साल्वी (78 अंबिकापुरी), उदयसिंह पिता रामनरेश सिंह भदोरिया (831 सी सुखलिया), मुरलीधर पिता चंद्रशेखर कर्ता (697 शिव सिटी राऊ) और मौसम व्यास पर भी कार्रवाई की सूचना है।
*यह है फर्जी बिल कांड*
नगर निगम का फर्जी बिल कांड सबसे पहले उस वक्त सामने आया था जब तत्कालीन निगमायुक्त के सामने कुछ ठेकेदारों ने आरोप लगाया कि हमारा बिल पास नहीं हो रहा है जबकि कुछ ठेकेदार बगैर काम के भुगतान ले रहे हैं। इसके बाद मामले में जांच शुरू हुई। 16 अप्रैल 2024 को इस मामले में पहली एफआइआर दर्ज हुई। आरंभिक रूप से यह घोटाला सिर्फ 28 करोड़ का होने का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी घोटाले की राशि बढ़ती गई।
फर्जीवाड़े को अंजाम देते हुए कथित ठेकेदारों ने बगैर काम के ही करोड़ों के बिल पास करवा लिए थे। ड्रेनेज विभाग के काम बताते हुए ये लोग फाइलें तैयार करते थे और फिर इन फाइलों को सीधे लेखा शाखा में प्रस्तुत कर देते थे। आडिट विभाग के अधिकारी भी आंख मूंदकर इन फाइलों को भुगतान के लिए बढ़ा देते थे। फाइलों में एक दिन में पांच किमी लंबी लाइन बिछाने और 500 चैंबर बनाने जैसी बातें होने के बावजूद इन्हें पास कर दिया गया।
जांच में यह बात भी सामने आई कि इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड नगर निगम का इंजीनियर अभय राठौर है। उसी ने अन्य आरोपितों के साथ मिलकर घोटाले को अंजाम दिया है। राठौर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने निगम के कर्मचारियों पर शिकंजा कसना शुरू किया। इसके बाद शिकंजा निगम के आडिटरों तक पहुंच गया। इस मामले में अब तक पुलिस ने सात अपराध दर्ज किए हैं। इनमें ट्रेंचिंग ग्राउंड का मामला भी शामिल है। मामलों में अब तक पांच चालान पेश हो चुके हैं। आठ आरोपित अब भी वांछित हैं। इनमें कुछ रिटायर्ड आडिटर भी हैं। फाइलों में भले ही फर्जीवाड़े का आंकड़ा कम हो, लेकिन दबी जुबान में अधिकारी भी स्वीकार रहे हैं कि 125 करोड़ से ज्यादा का घोटाला है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें


जवाब जरूर दे 

Sorry, there are no polls available at the moment.

Related Articles