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राज्यसभा में -सांसद कविता पाटीदार ने उठाया रेलवे कोच में बेबी बर्थ का मामला

(इस्माइलसैफ़ी)

नई दिल्ली.. 31 जुलाई को सदन में राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार ने एक महत्व पूर्ण विषय शून्य काल के दौरान उठाया।
हमारी धात्री माता बहनों (लेक्टेटिंग मदर) को रेलवे कोच में होने वाली असुविधाओं के बारे केंद्रीय रेलवे मंत्री एवं सरकार का ध्यान आकर्षित करवाया।
भारत में हर रोज करीब लाखो लोग रेलवे से सफर करते हैं। जिसमे से लाखों हमारी धात्री माता-बहने (लेक्टेटिंग मदर) भी सफ़र करती हैं। अक्सर यह देखने में आता है कि सफ़र के दौरान उन्हें अपने बच्चे को दूध पिलाने और उसे सुलाने में उन्हें कई प्रकार की कठिनायों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो बच्चों के साथ दुर्घटना भी हो जाती है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारतीय रेल प्रगति की ओर अग्रसर है। नित्य नए नए प्रयोगों और अविष्कारों से आज भारतीय रेलवे कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। जिसका कुछ समय पहले आभाव था।
प्रगति की इस कड़ी में रेल मंत्री द्वारा मदर्स डे पर, उत्तर रेलवे के कुछ चयनित डिवीजनों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत शिशुओं के साथ यात्रा करने वाली माताओं के लिए फोल्डेबल ‘बेबी बर्थ’ की शुरुआत की गई थी।
ये बर्थ माता-पिता के लिए एक अतिरिक्त स्थान प्रदान करती है ताकि वे अपने छोटे बच्चे को आसानी से लिटा सकें।बिना किसी परेशानी के बच्चों को यात्रा के दौरान गिरने से बचाने के लिए बर्थ में एक स्टॉपर भी लगाया गया है। जब माता-पिता को बेबी बर्थ की आवश्यकता नहीं होगी तो आसानी से इसे फोल्ड किया जा सकेगा। इसके बाद वे नार्मल सीट की तरह बन जाएगी।
सांसद कविता पाटीदार ने सरकार से आग्रह किया है कि इस पायलट प्रोजेक्ट को लगभग सभी रेल गाड़ियों में एक अतिरिक्त बेबी बर्थ का प्रावधान किया जाना चाहिए एवं मातृत्व कक्ष का प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि मेरी किसी भी माता बहन को अपने शिशु को दूध पिलाने में किसी प्रकार का कष्ट न सहना पड़े।

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