पशु पालक जागरूकता अभियान-
दूध नहीं तो दाना नहीं- रंगवासाl अधिकांश पशुपालक गण जानकारी के अभाव में गर्भावस्था में ब्यानें के 2- 3 माह पूर्व जब गाय या भैंस धीरे-धीरे दूध देना लगभग बंद कर देती है या दुग्ध उत्पादन में कमी के कारण पशुपालक स्वयं दूध निकालना बंद कर उसे सूखा देते है। जैसे ही पशु का दूध देना बंद होता है, वैसे ही उन्हें दाना देना भी लगभग बंद कर दिया जाता है या बहुत कम दाना प्रदाय किया जाता हैं (अर्थात् दूध नहीं तो दाना नहीं) और हरे चारे की अनुपलब्धता के कारण मात्र सूखा भूसा खिलाया जाता है। जबकि गर्भावस्था के इस काल में गर्भ में पल रहें शिशु की सर्वाधिक वृद्धि (70-75%) एवं माता के शरीर में पोषक तत्वों का संग्रहण इसी काल में होता है। इन संग्रहित पोषक तत्वों का उपयोग पशु ब्यानें के उपरांत दुग्ध उत्पादन काल में आवश्यकता बढ़ने पर करता हैं। इस अवस्था में गर्भस्त पशु के आहार में खनिज एवं विटामिन युक्त दाने की कमी से पशु शरीर में विभिन्न प्रकार के पोषकों की अल्पता होने से वे कई प्रकार की प्रजनन एवं उत्पादन संबंधित व्याधियों से ग्रस्त हो जाते है। समय पर उचित उपचार न मिलने या उपचार उपरांत भी वे कई बार ठीक नहीं हो पाते हैं, और उनकी मृत्यु तक हो जाती है। उपरोक्त जानकारी डॉ रविंद्र कुमार जैन, वरिष्ठ पशु पोषण विशेषज्ञ ने ग्राम रंगवासा में पशु चिकित्सा एवं पशु पालन महाविद्यालय, महू द्वारा आयोजित पशुपालक प्रशिक्षण शिविर में दी। उन्होंने पशुपालकों को सलाह दी कि गर्भावस्था के अंतिम काल में गर्भवती महिलाओं के समान पशुओं में भी विशेष ध्यान देना चाहिए तथा ऐसी गाय एवं भैंस को प्रतिदिन 2-3 कि.ग्रा. खनिज एवं विटामिन युक्त संतुलित दाना मिश्रण अवश्य खिलाना चाहिए। ताकि दुधारू पशुओं को विभिन्न रोगों से बचा कर पशुपालन व्यवसाय को आर्थिक रूप से और अधिक लाभप्रद बनाया जा सके। डॉ अशोक पाटिल ने बताया कि क्षेत्र में गर्भस्त दुधारू पशुओं की पोषण पद्धति के अध्ययन पश्चात क्षेत्र आधारित खनिज एवं विटामिन का मिश्रण (संपूरक) महाविद्यालय में तैयार किया जा रहा है, जिसके पशु आहार में प्रयोग से पशुओं में व्याप्त विभिन्न प्रकार के जनन एवं उत्पादन रोगों के प्रकोप को कम किया जा सकता है। प्रशिक्षण में 32 पशुपालकों ने भाग लिया। विशेषज्ञ डॉ आशीष सोनी, डॉ पुष्कर शर्मा ने भी प्रदर्शनी के माध्यम से संबंधित विषय की जानकारी पशुपालकों को दी। पशुपालकों को विषय से संबंधित पाठ्य सामग्री निशुल्क वितरित की गई। यह अभियान मंडी बोर्ड की परियोजना अन्तर्गत नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ सीता प्रसाद तिवारी के मार्गदर्शन एवं अधिष्ठाता डॉ ब्रह्म प्रकाश शुक्ला के निर्देशन में चल रहा है। आयोजन में स्थानीय पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी बादाम सिंह ब्रह्माणे एवं ग्रामीण जनों का सराहनीय योगदान रहा।
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