♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

विश्व पोहा दिवस- हरसोला के पोहे का जवाब नहीं

हरसोला के पोहे का जवाब नहीं

विश्व पोहा दिवस..( दिनेश राठौर ) पोहा का नाम आते ही एक बार तो मन करता है खा लेते हैं क्योंकि यह खाने में स्वादिष्ट सेहती और पचने में आसान नाश्ता है वैसे तो पोहा देश के अनेक राज्यों में अलग-अलग तरीकों से बनाया जाता है पर मध्य प्रदेश में मालवा क्षेत्र खासकर इंदौर की पहचान पोहा से भी है l यह बात अलग है कि महंगाई की मार इस नाश्ते के व्यंजन पर भी पड़ी है फिर भी इसका खास स्वाद कीमत पर नहीं जाता l आज हम हरसोला गांव के पोहा कचोरी जलेबी की बात कर रहे हैं जो कि अपनी पहचान आसपास के क्षेत्रों के साथ देश विदेश में भी जाना जाता है आप कहोगे यह कैसे हुआ हरसोला गांव मैं आलू गाजर बीट हरा धनिया की खेती होती है जिसे लेने या बीज देने पंजाब हरियाणा दिल्ली पूना साउथ मुंबई आदि दूर-दूर के क्षेत्रों से व्यापारी आते हैं और वे यहां पोहै का स्वाद लेकर जाते हैं यहां की रिश्तेदारी देश के अनेक क्षेत्रों व दूसरे राज्यों में है और भी मेहमान भी यहां आने पर पोहे का स्वाद जरूर लेते हैं और तारीफ करके जाते हैं और बात रही देश-विदेश की तो यहां के कई युवक दिल्ली मुंबई बेंगलुरु आदि शहरों एवं अमेरिका में भी कंपनियों में सेवारत जो अपने गांव के पोहा जलेबी नाश्ते की प्रशंसा जरूर करते हैं आप भी कभी हरसोला आए तो पंचायत चौक स्थित अनिल राव गुड्डू भैया के पोहे कचोरी और सत्तू भैया की जलेबी का लुप्त जरूर जरूर उठाएं l

 . पोहे के फायदे हृदय और वसा रहित होता है।
यह कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है।
उन लोगों के लिए पोहा फायदेमंद होता है, जिन्हें गेहूं के उत्पादों से एलर्जी है।
यह चावल आधारित पकवान है जो कि भूख को मिटाता है और लंबे समय तक आपको भूख नहीं लगने देता।
यह काफी हल्का होता है इसलिए यह आसानी से और जल्दी पच भी जाता है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें


जवाब जरूर दे 

Sorry, there are no polls available at the moment.

Related Articles