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खाद्य प्रबंधन से जागरूकता का निर्माण

खाद्य प्रबंधन के प्रति जागरूकता से होगा सुरक्षित भविष्य का निर्माण : प्रो. गोयल

पर्यावरण जागरूकता पखवाड़ा के चौथे दिन छात्रावासों में खाद्य सुरक्षा एवं स्वच्छता गतिविधि का आयोजन

महू। lआवश्यकता से अधिक भोजन भविष्य के खाद्य संकट को बढ़ावा देता है। संपूर्ण विश्व में लगभग 40 प्रतिशत खाद्य सामग्री हर वर्ष बर्बाद हो जाती है। भोजन की बर्बादी को कम कर हम खाद्यान संकट को कम कर सकते हैं। युवाओं द्वारा पर्यावरण जागरूकता एवं साफ़-सफाई प्रबंधन लोगों में प्रेरणा का प्रसार किया जा सकता है। मिशन लाइफ को आत्मसात कर आत्म निर्भर एवं स्वस्थ भारत का निर्माण किया जा सकता है। समय रहते हमें पर्यावरण को संरक्षित करने की आवश्यकता है। उक्त बातें डॉ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की सामाजिक विज्ञान एवं प्रबंधन अध्ययनशाला के अधिष्ठाता प्रो. सुनील गोयल ने विश्वविद्यालय के संतकबीर बालक छात्रावास तथा रमाबाई अम्बेडकर बालिका छात्रावास में ‘नेशनल फूड डाइजेस्टिक डे’ के अवसर पर खाद्य सुरक्षा एवं पर्यावरण जागरूकता एवं स्वच्छता कार्यक्रम के उपरांत विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कही। पखवाडा कार्यक्रम का आयोजन कुलपति डॉ. रामदास आत्राम के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय परिसर में संपन्न हुआ।

अम्बेडकर विचार एवं दर्शन अध्ययनशाला के अधिष्ठाता प्रो. डी.के. वर्मा ने कहा कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता के द्वारा ही हम धरा को हरा-भरा रख सकते हैं। पर्यावरण का असली क्रियान्वयन युवा करते हैं. पौधारोपण केवल एक कार्य भर न हो बल्कि उसको आत्मसात करने की जरुरत है। सिद्धांत को व्यवहार में लाने की जरुरत है। हमें इको क्लब बना कर क्रियान्वयन करने की जरुरत है ताकि भविष्य को सुरक्षित रखा जा सके।

शिक्षा एवं कौशल विकास अध्ययनशाला की अधिष्ठाता डॉ. मनीषा सक्सेना ने कहा कि पर्यावरण एवं जल प्रबंधन की गतिविधि को आत्मसात करने की जरुरत है। पर्यवरण संरक्षण को आदत में शामिल कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सार्थक कदम उठा सकते हैं। जल प्रबंधन, साफ़-सफाई, खाद्य प्रबंधन आदि को जीवन संबंधों में उतारने की जरुरत है ताकि हम सुरक्षित भविष्य का निर्माण कर सकें। आईसीआईसीआई अकादमी के ट्रेनर राकेश जांगिड ने कहा कि हमें शपथ लेकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में निरंतर जागरूकता फ़ैलाने की जरुरत है. स्वस्थ पर्यावरण से ही एक स्वस्थ भविष्य का सपना देखा जा सकता है।

कार्यक्रम समन्वयक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. शीतल झा ने पर्यावरण पखवाडा के अंतर्गत आयोजित गतिविधियों को विस्तार देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय पर्यावरण के प्रति अपने सामाजिक दायित्व के अंतर्गत निरंतर ऐसे जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता रहा है। खाद्य प्रबंधन के लिए समाज में जागरूकता फैला कर ही हम आने वाले कल के लिए लोगों को सचेत कर पाएंगे। इस खाद्य एवं पर्यावरण जागरूकता गतिविधि के अवसर पर कृषि विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार, संकाय सदस्य डॉ. संगीता मसानी, डॉ. रामशंकर, डॉ. जितेन्द्र, रश्मि अग्रवाल, डॉ. भावना वर्मा, डॉ. शोभा सहित संत कबीर बालक छात्रावास तथा रमा बाई अम्बेडकर बालिका छात्रावास के विद्यार्थी एवं कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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